चरणारविन्दे oleh डॉ. रंजना वर्मा
Ringkasan
मानव मन का स्वभाव है दुख सुख में ईश्वर का स्मरण करना । विशेष रूप से कष्ट पड़ने पर वह भगवान की शरण में जाता है । इस भव सागर से पार उतरने का वही एकमात्र आश्रय है । बड़े बड़े ऋषि मुनियों तथा विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया है - कलियुग केवल नाम अधारा । कलियुग में सभी कठिनाइयों के निवारण का , सन्मार्ग पर चलने का एक ही मार्ग है - ईश्वर का भजन । चाहे वह श्याम सुंदर कृष्ण हों, राम हो, शिव हों या जगज्जननी माता । आराध्य कोई भी हो आराधना का सर्व प्रचलित तथा सुगम उपाय भजन करना ही है । प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न सरस भजनों का कवित्री द्वारा सृजन किया गया है । आइये, पढिये, भजन कीजिये और भक्तिरस में डूब जाइये ।
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