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हमारे समाज में कई अपराध ऐसे होते हैं जिन्हें सही समय पर हस्तक्षेप करके रोका जा सकता था। यह पुस्तक उन्हीं छुपी कहानियों को उजागर करती है जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी के पीछे दबकर रह जाती हैं। लेखक यह दिखाता है कि कई बार अपराध केवल बुरी नीयत का नहीं, बल्कि व्यवस्थागत विफलताओं, सामाजिक उपेक्षा और समय पर मदद न मिलने का नतीजा होते हैं। ये कहानियाँ सिर्फ पीड़ितों की त्रासदी नहीं बतातीं, बल्कि इस बात पर ज़ोर देती हैं कि समाज, पुलिस, परिवार और सिस्टम की भूमिका समय रहते कितनी अहम हो सकती है। हर अध्याय एक अलग घटना के पीछे की कहानी और चूक की गहराई से पड़ताल करता है। यह किताब पाठकों को भावनात्मक रूप से झकझोरने के साथ-साथ जिम्मेदारी की भावना भी जगाती है, और यह प्रेरित करती है कि कैसे हम सब मिलकर एक अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं।

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