मौसिक़ी के अखंडित आयाम oleh डॉ अरुण कुमार शास्त्री

मौसिक़ी के अखंडित आयाम by डॉ अरुण कुमार शास्त्री from  in  category
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ISBN: 9789354583452
Ukuran file: 9.31 MB
Format: EPUB (e-book)
DRM: Applied (Requires eSentral Reader App)
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Ringkasan

आज आपके हांथो या आपकी डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन पर आपको ये पुस्तक पढ़ते देख मैं आपसे दूर बैठा ये बखूबी सोच सकता हूँ की आपके मन में ये प्रश्न तो उठा ही होगा कि ये लेखक भी कैसे प्राणी होते हैं क्या क्या रच डालते है क्या विचार उठते होंगे और क्यों उठते होंगे ये सब लिखने से पहले इनके मन में कैसे कैसे ये एक एक शब्द को जोड़ एक लाइन व् एक एक लाइन को जोड़ एक रचना बना डालते हैं भावों भरी जो नवरस का सुनहरा प्रारूप आपके मानस पर सृजित करते है कोई कोई तो हू ब हू वैसे ही हालात से गुजर चुका होता है। 

देखो दोस्तों मैं भी आपका ही एक हिस्सा हूँ मेरा भी इसी संसार में जनम हुआ मेरे भी सभी पारिवारिक रिश्ते हैं जैसे आपके हैं तो मैं भी वैसे ही परिवेश में पला बढ़ा हुआ हूँ। मैं भी उन्ही हालात से सोच से निर्मित हूँ और वैसी ही भावनाएँ हैं मेरी।  तो हम और आप सब एक ही मिट्टी के पुतले हैं और अंत में उसी मिट्टी में समा जाने हैं।
बस यही कुछ फर्क है की मैंने उन्ही दिन प्रतिदिन के भावों को कागज़ पर उकेरा है पीड़ा , दर्द वेदना , ख़ुशी प्रसन्नता , मासूमियत आदि भाव रचनात्मक काव्य में उतार दिए हैं मेरा लेखन किसी विशेष तरज़ीह का मोहताज़ नहीं - रात नींद खुल गई कोई याद आ गया और मेरी कविता बन गई।  किसी को ग़मज़दा देखा तो अपना ग़म याद आ गया तो मेरी कविता बन गई।  और उन सब को जोड़ कर ये पुस्तक जो आज आपके सामने है वो बन गई।  ओम इति साहित्यम।     
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त       



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